नूर आलम वारसी
बहराइच। घोडों, गधों एवं खच्चरों में पायी जाने वाली बीमारी ग्लैण्र्डस एवं फार्सी की रोकथाम के लिए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, बहराइच डा. बलवन्त सिंह की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार मेंएक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान जनपद के सभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी एवं पशुधन प्रसार अधिकारियों के साथ-साथ विशेष आमंत्री के तौर पर बू्रकस इण्डिया के रीजनल मैनेजर डा. जमन भी मौजूद रहे।
प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डा. जमन ने बताया कि ग्लैण्र्डस बीमारी मुख्यतः घोड़ो एवं खच्चरों में पायी जाती है तथा यह एक जूनोटिक बीमारी है जो कि बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु के द्वारा होती है, जिसमें पहले तेज बुखार, खाल में गांठे तथा नाम के अन्दर छाले पड़ जाते है जो कि बाद में फट जाते है, जिसमें पीले रंग का मवाद आने लगता है तथा खासी आती है जानवर अत्यन्त दुर्बल हो जाता है तथा अन्त में उसकी मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह बीमारी घोडों, गधों एवं खच्चरों से दूसरे स्वस्थ पशुओं (सुअर एवं गाय भैसों को छोड़कर) के साथ-साथ मनुष्यों में भी फैलती है तथा इसका कोई उपचार नही है।
इस बीमारी से बचाव के सम्बन्ध में उन्होंने सुझाव दिया कि स्वस्थ पशुओं को रोगग्रसित पशुओं से दूर रखें तथा साथ में दाना पानी भी न दें तथा सीरो सर्विलिपन्स के लिए प्रत्येक माह 20 सीरम सैम्पुल एकत्र कर जांच के लिए हिसार प्रयोगशाला भेजना सुनिश्चित किया जाय। डा. जमन ने बताया कि जांच उपरान्त सर्विलान्स में यदि किसी पशु में बीमारी पायी जाती है तो उसको यूथीनाइच करना ही विकल्प है उसके पश्चात उसको गहरे गढ्ढे में नमक व चूने के साथ दफनाया जायेगा, जिसके एवज़ में घोड़ों के लिए रू. 24,000=00 व गधे एवं खच्चर के लिए सरकार द्वारा कम्पेनशेसन राशि दी जायेगी।
प्रशिण कार्यशाला के अन्त में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. बलवन्त सिंह ने सभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया गया कि प्रत्येक माह अपने क्षेत्र के कम-से-कम 08 ग्राम सभाओं का भ्रमण कर बीमारी के सम्बन्ध में सर्वे कर रिपोर्ट उपलब्ध कराते रहें। उन्होंने सभी सम्बन्धित को अपने-अपने क्षेत्र में पूरी सजकता के साथ सतर्कता बरतने के निर्देश दिये।
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